Personal Loan कभी बच्चों की पढ़ाई का खर्च, कभी शादी की तैयारी, तो कभी अचानक आने वाली मेडिकल इमरजेंसी – ऐसी स्थितियों में अक्सर पैसों की ज़रूरत अचानक से बढ़ जाती है। ऐसे समय में सबसे आसान और भरोसेमंद सहारा बन जाता है Personal Loan। इसमें न तो लंबी-लंबी प्रक्रियाओं की झंझट होती है और न ही महीनों का इंतज़ार। बैंक या NBFC आपको जल्दी से लोन उपलब्ध करा देते हैं, जिससे आपकी फाइनेंशियल दिक्कतें आसानी से हल हो जाती हैं।
क्यों है पर्सनल लोन खास?
पर्सनल लोन लेने का सबसे बड़ा फायदा यह है कि इसमें आपको किसी भी तरह का collateral यानी गिरवी नहीं रखना पड़ता। घर, ज़मीन या सोना किसी चीज़ की ज़रूरत नहीं होती। आप यह भी तय करने के लिए पूरी तरह आज़ाद होते हैं कि इस लोन का इस्तेमाल कहां करें। शादी का खर्च हो, घर की मरम्मत करनी हो या फिर किसी मेडिकल इमरजेंसी से निपटना हो – हर हालात में पर्सनल लोन काम आता है।
4 लाख रुपये पर कितनी EMI देनी होगी?
अब मान लीजिए कि आपने बैंक से ₹4 लाख का Personal Loan लिया है और इसकी अवधि है 5 साल यानी 60 महीने। मौजूदा समय में औसतन पर्सनल लोन पर 11% सालाना ब्याज दर लगती है। ऐसे में हर महीने आपकी जेब से कितनी EMI जाएगी, यह जानना ज़रूरी है।
यहां पूरा कैलकुलेशन देखिए:
लोन राशि (Loan Amount) | अवधि (Tenure) | ब्याज दर (Interest Rate) | मासिक किस्त (EMI) | कुल ब्याज (Total Interest) | कुल भुगतान (Total Payment) |
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₹4,00,000 | 5 साल (60 महीने) | 11% | ₹8,696 | ₹2,21,790 | ₹6,21,790 |
इस हिसाब से, अगर आप ₹4 लाख का लोन लेते हैं, तो आपको हर महीने करीब ₹8,696 EMI देनी होगी। पूरे 5 साल में आपके ऊपर ₹2,21,790 रुपये ब्याज का अतिरिक्त बोझ आएगा और कुल मिलाकर आपको ₹6,21,790 रुपये चुकाने होंगे।
EMI को तय करने वाले फैक्टर
आपकी EMI सिर्फ लोन की रकम पर निर्भर नहीं करती, बल्कि कई और चीज़ें भी इसमें अहम भूमिका निभाती हैं। सबसे पहला फैक्टर है ब्याज दर। अलग-अलग बैंक और NBFC अलग-अलग ब्याज दर पर लोन देते हैं। दूसरा फैक्टर है loan tenure यानी आपने कितने साल के लिए लोन लिया है। अगर अवधि लंबी है तो EMI तो कम हो जाएगी, लेकिन आपको कुल ब्याज ज़्यादा देना पड़ेगा। वहीं, छोटी अवधि में EMI थोड़ी भारी हो सकती है, लेकिन कुल ब्याज कम लगेगा।
लोन लेते समय किन बातों का ध्यान रखें?
पर्सनल लोन लेना जितना आसान है, उतना ही समझदारी भरा फैसला भी होना चाहिए। हमेशा compare करें कि कौन सा बैंक सबसे कम interest rate और न्यूनतम processing fee ले रहा है। छुपे हुए charges भी अच्छे से समझ लें, वरना बाद में लोन आपकी उम्मीद से महंगा साबित हो सकता है। साथ ही अपनी repayment capacity को ध्यान में रखकर ही EMI चुनें, ताकि भविष्य में किसी तरह का फाइनेंशियल प्रेशर न बने।
क्यों जरूरी है EMI का सही कैलकुलेशन?
लोन लेने से पहले EMI का पूरा कैलकुलेशन करना बेहद ज़रूरी है। इससे आपको पहले से ही अंदाज़ा हो जाएगा कि हर महीने आपकी जेब पर कितना असर पड़ेगा। सही EMI चुनने से आप अपनी monthly saving और खर्चों को बेहतर ढंग से मैनेज कर पाएंगे। इसके अलावा, समय पर EMI भरने से आपका credit score भी मजबूत होगा, जिससे आगे चलकर आपको आसानी से लोन मिल सकेगा।
निष्कर्ष
अगर आप ₹4 लाख का Personal Loan 5 साल की अवधि के लिए लेते हैं तो आपको हर महीने लगभग ₹8,696 EMI चुकानी होगी। पूरी अवधि खत्म होने तक आपको कुल ₹6,21,790 रुपये बैंक को चुकाने होंगे, जिसमें से ₹2,21,790 रुपये सिर्फ ब्याज होगा। इसलिए लोन लेने से पहले EMI का कैलकुलेशन करना, सही विकल्प चुनना और repayment की ठोस योजना बनाना बेहद जरूरी है।